keep the innocence alive within!

aasaman ke pankh

किनारे बैठे , रेत की बाहों में,
चुपके से सरक कर पानी की लहरों में ,
हो गया ओझल इन आँखों के झरोखे से,
वो नन्हा सा एक खिलता हुआ बचपन!
गीली रेत में घरोंदे बनाता ,
अपने नाम से उसे सजाता,
लहरें जब उसे मिटाती ,
फिर नन्हे हाथों से नया घर बनाता !
ना थकता कभी न होता मायूस,
करता कोशिश जब तक न बना मगरूर,
इस बचपन को समाये दिल में रखा था,
लगता है वो लहरों के साथ चला गया !
गर करू में कोशिश आ जाये वो ,
मन की गहराईयों में छुपा लूँ तोह,
फिर से खिल जाएगा ये चेहरा ,
जिसकी मुस्कान खो गयी थी यूँ !
फिर से मन  में  जज्बा होगा ,
ज़िन्दगी को नया रुख मिलेगा,
हँसते हँसते चलने का सबब ,
इस दिल को भी तो अच्छा लगेगा!

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fly with your dreams!

aasaman ke pankh

पवन की चाल चलता ,तीव्र गति से उड़ता ,
पंख लिए सपनो के ,
मन यह चंचल सा !
 
 सफ़ेद  अश्व पर हो सवार जैसे कोई सतरंगी सपना,
 आँधियों  को चीरता  हुआ ,
आसमान में उड़े यह गीत नया सा!
 
 
 
जज्बा कोई दिल में हो रंग भले ही कोमल ,
धड़कन में वह जान संजोये ,
लेता है अपनी डगर !
 
किस डर में जिए तू ऐ मन  ,
किसके लिए सजाये,
सपनों को तू भो पंख लगाकर,
उड़ जा देश पराये! 

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